कोई मुंह फेर ले तो ग़म ना कर, दस्तूर है ये,
इश्क बदनाम है बस युँ ही बदल जाने को...
वो जिनका आशियाँ हवा है वो भी ठहरे है्ं,
यहां मौसम भी गुज़रते हैं मुड़ कर आने को।
~ सबा
Subah ke khwab se chura ke kuch bunde os ki... Maine sham ka daman bhrne ko saamaan jutaya hai.