मैंने अपनी जड़ें छोड़ दीं
घास था, जानवर बन गया...
पर वास्ता धूप-छाँव से छूटा कहाँ
मैं मौसम की करवटों पर
बदलता गया...
और जबकी बोतलों में बंद है
मेरे हिस्से की बारिश
मैं बादलों के बरसने पर
हर बार
पिघलता गया.
सबा
घास था, जानवर बन गया...
पर वास्ता धूप-छाँव से छूटा कहाँ
मैं मौसम की करवटों पर
बदलता गया...
और जबकी बोतलों में बंद है
मेरे हिस्से की बारिश
मैं बादलों के बरसने पर
हर बार
पिघलता गया.
सबा