बस आँखों
तक के रस्ते पे
इक उम्र
बितानी होती है
बस ख्वाबो
के दरवाज़े पर
हर रात
जलानी होती है
उम्मीदें
तारो जैसी कुछ
बिखरे पर
नूर नहीं होता
कुछ बातें
ऐसी होती हैं
चुप्पी
की ज़ुबानी होती हैं
कुछ राही
सूखे पतों से
चलते पर
राह नहीं होती
इक दुआ
जिसे मांगो फिर भी
पाने की
चाह नहीं होती
कुछ ख्वाब
भी पत्थर होते हैं
फेंको तो
हलचल होती है
पर पानी
के हलकारो में
खोना ही
किस्मत होती है
और पानी
की गहराई में
बहते बहते
घिस जाते है
कुछ लोग
भी पत्थर होते हैं
चुपचाप
ही चलते जाते हैं।..
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