मेरे शहर में भी बर्फ के कुछ बादल भेज दो ...
इंसानियत की लाशों से पटी सड़कें ही छुप जाएं.
फूलों की खुशबु में सड़न छुपती नही अब
साँसो को अलहदा करो, कुछ चैन सा तो आए।
अँधेरा यहाँ चेहरे छुपाता है, डर नहीं
बेशक्ल रहने दो मुझे मेरा नाम कहीं ना आये …
धोखे में जीना भी अब आदत में शुमार है.
सच ढक दो, कि कुछ और दिन खुशहाल निकल जाएँ।
~ सबा
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