ज़ुबान पे चाशनी सा घुल कर
हलक़ में जल्वा-फ़रोश होता है
एक आग जवां होती है
बदन में घुलते घुलते
जहाँ-सोज़ होता है
मैं जलता हूँ, घुटता नहीं
ये तपिश क्या है
ये जाम मेरी रगों में
जब जब अफ़रोज़ होता है …
सबा
जल्वा-फरोश - selling/revealing the beauty
जहाँ-सोज़ - the world on fire
अफ़रोज़ - illuminated
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