बस बहुत हो चुका,
आँधियाँ और मत चलाओ
गर बारिश का वादा ना दे सको
बादलों को इस बरस मत बुलाओ.
ओस फूलों पे बिछने दो,
नशे में क्यों न गुलशन हो...
बातें तौबा की छोड़ दो,
कुफ़्र सा कुछ तो कर जाओ.
शायरों की मज़ारों पर
ख़ला गाती है जब नग़मे,
शमा कहती है फ़िर हँस के,
गीत कोई नया गाओ.
सबब ख़ामोशी का हो क्या
कायदा बंदगी का क्या,
ज़ुबान चुप, मर ही जाएगी,
हो ज़िंदा तो बता जाओ.
रंग स्याही दीवारों पर
ख़ून है आस्तीनों पर,
बहा दो इनको गंगा में,
या धुल सके, तो धो लाओ.
नए पन्ने, पुरानी बात,
क़ाग़ज़ी , आसमानी बात,
दौर अब तो नया लिख दो,
हर्फ़ बदल सको, तो कलम उठाओ.
~सबा
Bas bahut ho chuka,
Andhiyan aur mat chalao...
Gar barish ka vada Na de sako.
Badalon ko is baras mat bulao.
Os phulon pe bichhne do,
Nashe me kyo Na gulshan ho,
Batein tauba ki chhod do...
kufra sa kuchh to kar jao.
Shayaron ki mazaron pe,
Khala jab gati hai nagme,
Shama kehti hai phir hans ke...
Geet koi Naya gao...
Sabab khamoshi ka ho kya?
kayda bandagi ka kya?
Zuban chup mar hi jayegi;
Ho zinda to bata jao.
Rang syahi diwaron pe...
Khoon hai aastino pe...
baha do inko ganga me,
Ya dhul sake, to dho lao.
Naye panne, purani baat,
Kaghazi, asmani baat...
Daur ab to Naya likh do,
Harf badal sako to kalam uthao.
~Saba
आँधियाँ और मत चलाओ
गर बारिश का वादा ना दे सको
बादलों को इस बरस मत बुलाओ.
ओस फूलों पे बिछने दो,
नशे में क्यों न गुलशन हो...
बातें तौबा की छोड़ दो,
कुफ़्र सा कुछ तो कर जाओ.
शायरों की मज़ारों पर
ख़ला गाती है जब नग़मे,
शमा कहती है फ़िर हँस के,
गीत कोई नया गाओ.
सबब ख़ामोशी का हो क्या
कायदा बंदगी का क्या,
ज़ुबान चुप, मर ही जाएगी,
हो ज़िंदा तो बता जाओ.
रंग स्याही दीवारों पर
ख़ून है आस्तीनों पर,
बहा दो इनको गंगा में,
या धुल सके, तो धो लाओ.
नए पन्ने, पुरानी बात,
क़ाग़ज़ी , आसमानी बात,
दौर अब तो नया लिख दो,
हर्फ़ बदल सको, तो कलम उठाओ.
~सबा
Bas bahut ho chuka,
Andhiyan aur mat chalao...
Gar barish ka vada Na de sako.
Badalon ko is baras mat bulao.
Os phulon pe bichhne do,
Nashe me kyo Na gulshan ho,
Batein tauba ki chhod do...
kufra sa kuchh to kar jao.
Shayaron ki mazaron pe,
Khala jab gati hai nagme,
Shama kehti hai phir hans ke...
Geet koi Naya gao...
Sabab khamoshi ka ho kya?
kayda bandagi ka kya?
Zuban chup mar hi jayegi;
Ho zinda to bata jao.
Rang syahi diwaron pe...
Khoon hai aastino pe...
baha do inko ganga me,
Ya dhul sake, to dho lao.
Naye panne, purani baat,
Kaghazi, asmani baat...
Daur ab to Naya likh do,
Harf badal sako to kalam uthao.
~Saba