हर कश में सुलगना, धुंए सा उड़ना
और फ़िर घुल जाना हवा में
सिगरेट सी ज़िन्दगी
जाने किसके सुर्ख होठों की
अमानत है
मैं तो बस यूँ ही जलता जाता हूँ
किन उँगलियों ने थामा है
किस माचिस से सुलगाया
किसकी सांसों में
मेरा वजूद फ़ना हो के घुल गया...
या किन हाथों ने नज़ाकत से
दबा दबा कर तम्बाकू की
आजाद पत्तियों को
बेजान काग़ज़ का गुलाम बनाया
और डब्बों में बांध दिया
इस सबक के साथ की अगली आज़ादी
मेरे कातिल के हाथों में होगी।
मैंने किसी की सूरत नहीं देखी
न कोई नाम पूछा।
ये भी कहा था किसीने
कि मेरा कातिल, मेरा माशूक, मेरा मसीहा
मुझे अपनी रूह की आंच में जलाएगा
कुछ ख़ुद से मिलने और फिर मिट जाने को
अंगारों पर एक सेज सजाएगा।
~ सबा
har kash me sulagna, dhuein sa udna
aur phir ghul jana hawa me
cigarette si zindagi
jane kiske surkh hothon ki
amanat hai
main to bas yun hi jalta jata hun
kin ungliyon ne thama hai
kis machis ne sulgaya hai
kiski sanson me
mera wajood fana ho kar ghul gaya...
ya kis hathon ne nazakat se
daba daba kar tambaku ki
azad pattiyon ko
bejaan kagaz ka ghulam banaya
aur dabboN me bandh diya
is sabak se sath ki agli azadi
mere katil ke hathon me hogi.
maine kisiki surat nahi dekhi,
na koi naam puchha.
ye bhi kaha tha kisine
ki mera katil, mera mashooq, mera masiha,
mujhe apni rooh ki aanch me jalayega...
kuchh khud se milne aur phir mit jane ko,
angaron pe ek sej sajayega...
~Saba
और फ़िर घुल जाना हवा में
सिगरेट सी ज़िन्दगी
जाने किसके सुर्ख होठों की
अमानत है
मैं तो बस यूँ ही जलता जाता हूँ
किन उँगलियों ने थामा है
किस माचिस से सुलगाया
किसकी सांसों में
मेरा वजूद फ़ना हो के घुल गया...
या किन हाथों ने नज़ाकत से
दबा दबा कर तम्बाकू की
आजाद पत्तियों को
बेजान काग़ज़ का गुलाम बनाया
और डब्बों में बांध दिया
इस सबक के साथ की अगली आज़ादी
मेरे कातिल के हाथों में होगी।
मैंने किसी की सूरत नहीं देखी
न कोई नाम पूछा।
ये भी कहा था किसीने
कि मेरा कातिल, मेरा माशूक, मेरा मसीहा
मुझे अपनी रूह की आंच में जलाएगा
कुछ ख़ुद से मिलने और फिर मिट जाने को
अंगारों पर एक सेज सजाएगा।
~ सबा
har kash me sulagna, dhuein sa udna
aur phir ghul jana hawa me
cigarette si zindagi
jane kiske surkh hothon ki
amanat hai
main to bas yun hi jalta jata hun
kin ungliyon ne thama hai
kis machis ne sulgaya hai
kiski sanson me
mera wajood fana ho kar ghul gaya...
ya kis hathon ne nazakat se
daba daba kar tambaku ki
azad pattiyon ko
bejaan kagaz ka ghulam banaya
aur dabboN me bandh diya
is sabak se sath ki agli azadi
mere katil ke hathon me hogi.
maine kisiki surat nahi dekhi,
na koi naam puchha.
ye bhi kaha tha kisine
ki mera katil, mera mashooq, mera masiha,
mujhe apni rooh ki aanch me jalayega...
kuchh khud se milne aur phir mit jane ko,
angaron pe ek sej sajayega...
~Saba
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