Ehsas

Ehsas ke saath

Afsos bhi hota hai...

Gar ehsas zinda hai to aansu bhi aate hai,

Aur hansi bhi...

Maine to jab bhi koshish ki rone ki khud pe,

Hansi hi aayi...

Aansu barish ban ke

Man ki sukhi mitti ko khushboo se sarabor kar jate hai,

Aur banjar ho chuki dharti par andekhe phul khil aate hai.

About Me

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Kagaz ke phoolo me mehek purani kitaab ki.... Zang lage guitar ke taar, aur dhun ek jaani pehchani... purani. Log kehte hai ki safar hai, par sab makaam dhundhte hai; Subah chale the, sham tak koi rah hume bhi dhundh legi...

Sunday, December 13, 2015

अदावत

इश्क़ से यूँ अदावत हो गयी है,
दूर रहने की आदत हो गयी है...   

मिल लें खुद से कभी मगर कैसे,
आईने से बग़ावत हो गयी है.

तेरे खत में तेरा दिल उतरा होगा,
यहाँ बेदिल सी हसरत हो गयी है.

अब भी छूती हैं मेरा बदन अक्सर,
 तेरी यादें बेगैरत  हो गयी हैं.

शिकवों की धूप अब तो ढलने दो,
आँखों को भी हरारत हो गयी है.

चलो एक मोड़ पर   खो जाते हैं,
ज़रा  लम्बी  हिकायत हो गयी। 

~ सबा

हिकायत - story

Saturday, July 4, 2015

दो चार कदम

दो चार कदम ही चल लेते 
मंज़िल के निशान के आने तक 
कुछ दूर और तो चल लेते 
उस सूरज के ढल जाने तक. 

चुप चाँद सिरहाने बैठेगा 
अब तारों के छुप जाने तक,
तुम आ जाते तो जी लेते,
ये फूल भी सब मुरझाने तक. 

खामोश रहेंगे ये साये 
अब बादल के बतियाने तक ;
तुम होते तो दिल लग जाता,
फिर से बहार के आने तक… 

~ सबा 




do chaar kadam to chal lete
manzil ke nishan ke aane tak,
kuchh door aur to chal lete, 
us suraj ke dhal jane tak...

chup chand sirhane baithega
ab taron ke chhup jane tak
tum aa jate to ji lete
ye phool bhi sab murjhane tak... 

khamosh rahenge ye saaye
ab baadal ke batiyane tak...
tum hote to dil lag jata 
phir se bahaar ke aane tak... 

~ Saba

Friday, June 12, 2015

ज़िन्दगी फिर से तेरी बज़्म में आना है मुझे



ज़िन्दगी फिर से तेरी बज़्म में आना है मुझे,
और रुसवाइयों का बोझ उठाना है मुझे …

ख्वाहिशों मुझसे थोड़ी दूरी बनाये रखो
अभी कुछ और ख़्वाबों को सुलाना है मुझे.

मेरे हिस्से की ज़लालत को संभाले रखना,
ज़रा कुछ दूर बेआरज़ू  जाना है मुझे.

कोई रिश्ता नहीं है तेरी सेहर से मेरा …
मेरी इस रात को स्याही में मिलाना है मुझे…

सीम-ओ-ज़र से न यूँ तोला करो इन हसरतों को,
ये दाग़ इश्क़ के दामन पे, मिटाना है मुझे…

सुर्ख हो या की सब्ज़, तेरे गुलशन तेरे हैं,
मैं तो मिटटी हूँ, ज़र्रों में मिल जाना है मुझे…

~ सबा



zindagi phir se teri bazm me ana hai mujhe
aur ruswaiyon ka bojh uthana hai mujhe

khwahishon mujhese thodi doori banaye rakho
abhi kuch aur khwabon ko sulana hai mujhe

mere hisse ki zalalat ko sambhale rakho
zara kuch door, be-aarzoo jana hai mujhe

koi rishta nahi hai teri seher se mera
meri is raat ko syahi me milana hai mujhe

seem-o-zar se na yun tola karo in hasraton ko
ye daagh ishq ke daman pe, mitana hai mujhe...

surkh ho ya ki sabz, tere gulshan tere hain bas
main to mitti hun, zarron me mil jana hai mujhe


~ Saba



Sunday, May 3, 2015

जाम

ज़ुबान पे चाशनी सा घुल कर
हलक़ में जल्वा-फ़रोश होता है
एक आग जवां होती है
बदन में घुलते घुलते
जहाँ-सोज़ होता  है
मैं जलता हूँ, घुटता नहीं
ये तपिश क्या है
ये जाम मेरी रगों में
जब जब अफ़रोज़ होता है …
सबा

जल्वा-फरोश - selling/revealing the beauty
जहाँ-सोज़ - the world on fire
अफ़रोज़ - illuminated 

Wednesday, February 4, 2015

छलावा

मेरे शहर में भी बर्फ के कुछ बादल भेज दो ...
इंसानियत की लाशों से पटी सड़कें ही छुप जाएं.

फूलों की खुशबु में सड़न छुपती नही अब
साँसो को अलहदा करो, कुछ चैन सा तो आए।

अँधेरा यहाँ चेहरे छुपाता है, डर नहीं
बेशक्ल रहने दो मुझे मेरा नाम कहीं ना आये … 

धोखे में जीना भी अब  आदत में शुमार है.  
सच ढक दो, कि कुछ और दिन खुशहाल निकल जाएँ।

~ सबा 


Wednesday, January 21, 2015


कोई  मुंह फेर ले तो ग़म ना कर, दस्तूर है ये,
इश्क बदनाम है बस युँ ही बदल जाने को...
वो जिनका आशियाँ हवा है वो भी ठहरे है्ं,
यहां मौसम भी गुज़रते हैं मुड़ कर आने को।
~ सबा